तिलस्मी किले का रहस्य भाग_ 6
कहानी _ *"तिलस्मी किले का रहस्य**
भाग_6
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
लगातार बारिश से शहर की सारी ट्रेन और प्लेन रद्द हो गई थी।इसलिए मजबूरन प्रताप को रुकना पड़ा।सुरभी ने कुछ रुपए दे दिए जिससे उसे थोड़ी राहत हो गई वरना उसका होटल में रहना और खाना आदि का खर्चा उठाना मुश्किल हो जाता।
गुड़िया के स्कूल की पूरी टीम शहर से दूर उस बड़े किले को देखने गए थे।साथ में प्रताप और सुरभी भी गए हुए थे।स्कूल के बच्चे बहुत खुश थे ।किला बहुत विशाल था।
गाइड बच्चो को बता रहे थे किले के अंदर कहा पर राजा रहते थे।कहा उनका दरबार लगता था।रानी महल कहा था। राजा की सेना कहा और कैसे रहती थी और किले की सुरक्षा कैसे करते थे।रानी और राजा का
कहा स्नान करते थे।बच्चे बड़ी उत्सुकता से किले के एक एक जगह को देख रहे थे।खुश हो रहे थे।फोटो और सेल्फी ले रहे थे ।
सबसे ज्यादा सुरभी खुश हो रही थी।ऐतिहासिक और पुराने महल और किला देखना अच्छा लगता था। बच्चो के साथ स्कूल के टीचर भी थे।जिसमे सोनिया शास्त्री इतिहास की शिक्षक थी।वे बच्चो को उस किले के इतिहास के बारे में बता रही थी।उन्होंने बताया किला कब किसने बनवाया था और कब कब किस राजा के अधीन रहा ।कब किन किन राजाओं के बीच युद्ध हुआ।
प्रताप चुपचाप सब देख और सुन रहा था।सुरभी उसे खींच खींच कर किले में साथ साथ घुमा रही थी।
घूमते घूमते सभी एक बहुत बड़े तालाब के पास पहुंचे जिसने आज भी पानी भरा हुआ था।उसमे आज भी कमल खिले हुए थे।
मछलियां किलोल सबका मन मोहित कर रही थी। गाइड ने सबको मना करते हुए कहा _ किसी भी चीज को हाथ नहीं लगाना क्योंकि यह क्षेत्र बहुत ही तिलस्मी है।पता नही कहा सुरंग, तहखाना या कुंआ निकल जाए और सबलोग उसमे फंस जाए कोई नहीं जानता है।
सुरभी उस तालाब को देखकर बहुत आनंदित हो रही थी। तालाब के बीचों बीच पानी काफब्बारा फुट रहा था। फब्बारा के चारो तरफ हंस और कमल फूल की मूर्ति बनी हुई थी।साथ में एक सुंदर स्त्री की भी मूर्ति लगी हुई थी।पानी का फब्बारा लगातार सभी मूर्तियों को भींगाता हुआ तालाब में बहता जा रहा था।
सुरभी को वे मूर्तियां और फब्बारा बहुत प्रभावित कर रहे थे वे उनको नजदीक से देखना चाह रही थी ।उसने प्रताप से अपनी इक्षा जाहिर किया।प्रताप ने कहा लेकिन वहा तक कैसे जाओगी।
पता,नहीं लेकिन मुझे वहा जाना है फब्बारा और मूर्तियों के पास।सुरभी ने जिद किया।
प्रताप ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो नही मानी ।मजबूर होकर प्रताप ने गाइड से उसकी ईक्षा बताई।
गाइड ने कहा किराए की छोटी नाव मिल जायेगी उसमें दो दो आदमी जा सकते है।
प्रताप ने गाइड से पता पूछकर किले के एक ऑफिस में जाकर एक बोट का किराया दिया। उसे बताया गया आप तालाब के पास जाये थोड़ी देर में वहा बोट पहुंच जाएगी।
वही हुआ।थोड़ी देर में तालाब में नाव आ गई।दोनो उसमे बैठकर पैर से साइकिल की तरह उसे चलाते हुए उस फब्बारे की तरफ जाने लगे।सुरभी बहुत खुश हो रही थी।
थोड़ी देर में दोनो उस फब्बारे के पास पहुंच गए।प्रताप और सुरभी को फब्बारा और मूर्तियां लुभा रही थी।
सुरभी उस फब्बारे के काफी करीब पहुंच गई।मनाही होने के बाद भी उसने कमल फूल की मूर्ति को छू दिया और उसकी पंखुड़ियां को दबाने लगी।तभी एक पंखुड़ी के दबते ही फब्बारा अचानक गायब हो गया।पानी का गिरना बंद हो गया।मूर्तियों के पास पानी कम होने लगा।तभी एक सुरंग निकल गई ।एक तरफ का पानी अचानक कम हो जाने की वजह से नाव एक तरफ झुक गई। असावधान होने के कारण सुरभी उसमे गिर कर फिसलती चली गई।
भय से उसकी चीख निकल गई ।उसकी आवाज किसी कुंआ से आती हुई सुनाई दी।
प्रताप हक्का बक्का सब देखता रह गया।उसकी समझ में कुछ नही आया अचानक क्या हो गया।उसने आव न देखा ताव उसने भी उस सुरंग में छलांग लगा दिया।वो सुरभी को बचाना चाहता था।
शेष अगले भाग _7 में
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मो.९९५५५०९२८६
Mohammed urooj khan
19-Jan-2024 05:15 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
Reply
Alka jain
16-Jan-2024 10:57 PM
Nice
Reply
Varsha_Upadhyay
09-Jan-2024 01:49 PM
Nice one
Reply